- जीवदानी माता मंदिर महाराष्ट्र के विरार में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है।
- यह मंदिर देवी जीवदानी माता को समर्पित है, जिन्हें आदिशक्ति का ही स्वरूप माना जाता है।
- यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 1500 फीट ऊँचाई पर एक पहाड़ी पर बना हुआ है, जहाँ तक पहुँचने के लिए भक्तों को 1200 से अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।
जीवदानी माता की कथा
- महाभारत काल से संबंध-
- मान्यता है कि महाभारत काल में जब पांडव वनवास में थे, तब वे इस क्षेत्र में आए थे।
- कहा जाता है कि अर्जुन ने इस पहाड़ी पर बैठकर माँ आदिशक्ति की कठोर तपस्या की थी।
- अर्जुन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए और इस भूमि को समृद्धि व शक्ति का आशीर्वाद दिया।
- गरीब स्त्री और जीव दान की कथा-
- एक अन्य लोककथा के अनुसार, विरार में एक गरीब स्त्री रहती थी, जो बड़ी श्रद्धा से देवी की पूजा करती थी।
- एक दिन देवी उसके सामने एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुईं और उससे वरदान मांगने को कहा।
- वह स्त्री निःस्वार्थ भाव से केवल अपने भूखे बच्चे के लिए अन्न मांग बैठी।
- देवी उसकी ममता और भक्ति से प्रसन्न हुईं और उसे अन्न के साथ-साथ “जीव दान” (जीवन देने का वरदान) दिया।
- तभी से देवी को जीवदानी माता कहा जाने लगा।
मंदिर का महत्व
- जीवदानी शब्द का अर्थ है – जीवन देने वाली देवी।
- यह भारत में जीवदानी माता का एकमात्र मंदिर है।
- माना जाता है कि यहाँ श्रद्धा और सच्चे मन से प्रार्थना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- मंदिर की चढ़ाई कठिन जरूर है, लेकिन भक्तों का विश्वास है कि माता के दर्शन से जीवन की हर कठिनाई दूर हो जाती है।
नवरात्रि में भव्य आयोजन
- नवरात्रि के पावन अवसर पर यहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुँचते हैं।
- मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना होती है।
- इस समय वातावरण में भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
जीवदानी माता मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भक्ति, श्रद्धा और माँ की करुणा का प्रतीक है। यहाँ आने वाले भक्त यह विश्वास लेकर आते हैं कि माता जीवदानी उन्हें जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद देंगी।