- दुनिया में अगर किसी इमारत को सच्चे प्रेम का प्रतीक माना जाता है तो वह है ताजमहल। आगरा (उत्तर प्रदेश) में स्थित यह अद्भुत इमारत हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
- ताजमहल की कहानी मुगल बादशाह शाहजहाँ और उनकी प्रिय बेगम मुमताज़ महल के अमर प्रेम से जुड़ी हुई है।
ताजमहल की प्रेम कहानी
- मुमताज़ महल का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था।
- 1612 में उनकी शादी शाहजहाँ से हुई और धीरे-धीरे वे उनकी सबसे प्रिय पत्नी बन गईं।
- मुमताज़ न केवल बेहद सुंदर थीं बल्कि दयालु और समझदार स्वभाव की भी थीं।
- शाहजहाँ हर जगह उन्हें अपने साथ रखते थे और दोनों का प्रेम लोगों के लिए मिसाल था।
- 1631 में जब मुमताज़ अपने 14वें बच्चे को जन्म दे रही थीं, तब उनकी मृत्यु हो गई।
- उस समय शाहजहाँ का दिल पूरी तरह टूट गया। उन्होंने वादा किया कि वे अपनी बेगम की याद में ऐसी इमारत बनाएँगे, जो हमेशा प्रेम का प्रतीक बनी रहे। यही से ताजमहल की नींव रखी गई।
ताजमहल का निर्माण
- निर्माण शुरू हुआ: 1632 ई.
- पूरा हुआ: लगभग 1648–1653 ई.
- कारीगरों की संख्या: 20,000 से अधिक
- मुख्य वास्तुकार: उस्ताद अहमद लाहौरी
- ताजमहल के निर्माण में राजस्थान का सफेद संगमरमर, श्रीलंका से नीलम, तिब्बत से फिरोज़ा, और अरब देशों से यमनी पत्थर लाए गए।
- इसमें फारसी, तुर्की और भारतीय स्थापत्य कला का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।
- ताजमहल केवल मकबरा ही नहीं बल्कि एक पूरा परिसर है, जिसमें चार बाग, मस्जिद और शानदार नक्काशीदार दीवारें हैं।
ताजमहल का महत्व
- ताजमहल को UNESCO World Heritage Site का दर्जा प्राप्त है।
- इसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है।
- यह केवल भारत की शान ही नहीं बल्कि प्रेम का अमर प्रतीक है।
- हर साल लाखों लोग यहाँ आकर प्रेम और कला की इस अद्भुत मिसाल को देखते हैं।
दिलचस्प तथ्य
- कहा जाता है कि शाहजहाँ ताजमहल के सामने एक काला ताजमहल (Black Taj Mahal) बनाना चाहते थे।
- शाहजहाँ को उनके बेटे औरंगज़ेब ने आगरा किले में कैद कर लिया था।
- अपनी आखिरी साँस तक शाहजहाँ ने किले की खिड़की से ताजमहल को निहारते हुए मुमताज़ की यादों में जीवन बिताया।
- बाद में शाहजहाँ को भी मुमताज़ के पास ही ताजमहल में दफनाया गया।
ताजमहल केवल एक इमारत नहीं, बल्कि एक ऐसी धरोहर है जो हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्रेम कभी खत्म नहीं होता। शाहजहाँ और मुमताज़ की प्रेम कहानी ताजमहल की सफेद दीवारों में आज भी जीवित है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती है।